दुर्गा-बहत्तरी, कवि: हिंगलाजदानजी कविया, सेवापुरा





छन्द भुजंगप्रयात

मनंछा परब्रह्म हिंगोळ माता 
समै सात पोरांॅं रमै दीप साता 
जॅबू दीप मे जाम एको जिकांॅरो
दिसा पच्छमी दूर प्रासाद द्वारो।1।

जिको धोकबा काज जावै जमाताॅ 
अपा पाप थावै बजै सिद्ध आतांॅ
करामात री बात साखात कैई
सता मात री चन्द्रकूपादि सैई।2।

नग्री सोनमेनी पछै गाॅम नाॅही 
महा कासटा घोर ऊजाड़ माॅही
प्रपा कूप नैड़ो न बैड़ो पयाणों
जलाल्या तणों फेटबो थेट जाणों।3।

बहै जातरी रातरी दीह बारा
धकै चाढ़बो माग रो खाग धारा
उदै-अद्र जो बारमों भाॅण ऊगै
पबै-अस्त सो पूगियां नीठ पूगै।4।

तठै आगवो खाग हूॅ छाग तोड़ै
चॅडी काळिका मात रै श्रोण चैड़ै
लगावै सबै ष्षेष बिन्दी ललाटाॅ
करै फेर विश्राम पाखै कपाटाॅ ।5।

उठै झाड़ कण्डीर पाहाड़ अैंडा
बणैं मंथराॅ हालणों पंथ बैंडा
खळक्कै सदा नीझराॅ नीर खोळाॅ
छलै कुण्ड अल्लील सल्लील छोळाॅ।6।

कैई जातरा तत्र पत्राळ कूॅजै
गहक्कै सिवा साद सादूळ गूॅजै
जिकां दाकले जातरी पोढ़ जावै
गुसाई रहै जागता राग गावै।7।
बडै प्रात श्रीमात मंजीर बागै
जराॅ गात जम्मात जम्मात जागै
सुणीजै अलंकार झंकार श्रुताॅं 
हुवै नींद बिक्षेप ताकीद हूॅंताॅ।8।

बिजै मात री जातरी लोक बोलै
खम्मा बैण उचारता नैंण खोलेै
पुगावै गुफा-गर्भ पाखै पुजारा
दुजन्मा जमाताॅ हुवै जेण द्वारा। 9।

नवो जन्म ले कुण्ड कण्डीर न्हावै
महासुद्ध व्है मुद्ध मां नूॅ नमावै
लखै सूळ सिन्दूर रो झोक लेतो
श्रज्यो मात श्रीहाथ त्रिनोक सेतो।10।

धनो धन्य सो लोक जो नोक धोकै
बळे गोर हूॅ और बातां बिलाकै 
रच्या राम रा दोय चित्राम रूड़ा
चखाॅ-सर्व एको बियो सर्व- चूड़ा।11।

गदा ले खड़ो लाॅगड़ो अग्रगामी 
भले मात हिंगोळ हिंगोळ भाॅमी
मुणीं मैं जिको आदि अन्नादि माई
अवतार ले माॅमड़ा धाम आई।12।

थिरा आवड़ा नाम विख्यात थायो
छिपा-सत्रु सो तेमड़ै छत्र छायो
सको सोखियो हाकड़ो नाम सिन्धू
बहन्तो थको रोकियो लोकबन्धू।13।

चक्री पीवणों पाय भाई बचायो
क्षुधाळी हणै. हेक हेरंब खायो
चढ़ीज्यो धकै तेमड़ो सुक्र चैळो 
भुजाॅ झोक कीधो पित्रांलोक भेळो।14।

लंबी कोस कैई गुफा खोस लीधी 
करे पोस पासाॅण निर्दोष कीधी
जठै आवड़ा मामड़ाई पुजावै
आई धोकबा लोक अन्नेक आवै।15।

रच्यो फेर प्रासाद बाहादरा रो
धनो भाग भू भाग भाटी धरारो
हुवो ना इसो थाॅन ना आन हूॅणों
दिपै इन्दराॅ मन्दिराॅ हूॅता दूॅणों।16।

ढ़की नींव काकोदराॅ लोक दूकै
फतै चिन्ह आकास लागो फरूकै
मिणै मेह रो माग पाताळ मानॅू 
सको देहरो सेहरो रत्नानूॅ।17।

थिरू मूरती सूर रै नूर थाई 
तिका स्वप्न रै माॅही पिण्डाॅ बताई 
सिरोरूह कोसेय काळा सरीखा
तियो आॅक भॅ बाॅकड़ा नेत तीखा।18।

झगै भाळ सिन्दुर ज्यांे ज्वाळा झाळा
मुद्राळी गळै हिण्डुळै मुण्ड माळा
भुजाॅ भाॅमणाॅ कंकणाॅ सज्ज कीधां 
लसै सूळ डैरू खड्ग खप्र लीधाॅ।19।

छऊ भैंन छोटी दहूॅ ओड. छाजै
बिचै पाट-राजीव माजी बिराजै
खड़ो लाॅगाड़ो बीर वीराधि खेतू
करै रागड़ाॅ छागड़ाॅ राह केतू।20।

खळाॅ धूकळाॅ आदरै बीर खेळा
मिलै बाधरै जोगण्या जुत्थ मेळा
भरै पत्र भैसाॅ अजाॅ रत्र भोगै
अछक्काॅ छकाॅ छाक दारू अरोगै।21।

हुवै धत्त लोहित्त मैमत्त हाला
नसारा किसा पार सुळाॅ निवाला
मधू मास आसोज मे रास मडै
तिहूॅ लोक री डोकरी तेथि तडै।22।

रजा बह्म री रूप अन्नेक रम्मै
घणॅा बाजणाॅ घूघराॅ घम्म घम्मै
घटा भद्द ज्यों नद्द आॅनद्ध घोरै
धुबै ताळ कंसाळा संाॅगीत धोरै।23।

तणै तार सैतार बीणादि तन्त्री
बणै बीस बत्तीस भैरूं बजन्त्री
डफाॅ मादळाॅ नाद डैरूॅ डमंकै
धरा ब्योम पाताळ धूजै धमंकै।24।

धनो धन्य मां आवड़ा धाड़धाड़ा
अखीजैं किसी जीह थारा अखाड़ा
सदा तू रमै रास नो कोड़ साथै 
महामोड़ तू कोड़ तेंतीस माथै।25।

जिका आवड़ा देस जेसाण जिल्लै 
करन्नी तिका दं्रग देसाण किल्लै
मयन्दी बणे कान्हरै थाप मारी
तरी साह तोफाॅन रै माॅह तारी।26।

बिलूॅब्यो निधी नीर श्री हाथ बामै
पुरी में सको सीर हन्नोज पाॅमैं
सजा हॅू छुड़ायो आई राव सेखो
लाई पुत्र पित्रेस रो लोप लेखो।27।

चवत्थू तणांे तूटियो ऊॅट चीन्हो
करे काठ रो पाॅव उपाव कीन्हों 
दिपी कूप रै ऊपरै रूप दम्भी 
थये टूकड़ा जावती लाव थम्भी।28।

महाराज नॅू राज रीझे समाप्यो 
थिरू राज रो राज देसाण थाप्यो
जठै झाड़ियाॅ खंड श्रीखण्ड जैड़ी 
नगां पुंजरी मंजरी रूप नैड़ी।29।

हिन्दूवाण रो घ्राण देसाण हूगो
वणाॅरो अलंकार प्राकार ऊगो 
बुरज्जाॅ चहूॅ जाॅण लोकेष बाका 
प्रथी आभ रै बीच भाॅगै पताका। 30।

पड़ै दीठ आसेर ज्यों मेर पब्बै
दूती देखियाॅ स्वर्ग रो दुर्ग दब्बै
सिला रा किला द्वार चित्राम सोहै
बिभूसा अलोकीक लोकाॅॅ बिमोहै।31।

कपाटाॅ तणीं गाढ़ता बज्र कीसी 
बणी भालि ज्यांे जज्र बाकै बतीसी
कसै ब्याळ हूॅ नींव पाताळ काॅनै
महा उच्चता भाखराॅ तुख्छ माॅनै।32।

तिसोता जिसो नीर गम्भीर टाॅको
बिलूंमै बिचै जाळ भुज्जाळ बाॅको
जिका कोट नूॅ देवता हाथ जोड़ै
चहुॅ कूॅट रै बीच बैकूॅट चोडै़। 33।

छबीलो घणों खास आवास छाजै 
लखे घाट स्वाराट रो पाट लाजै
निराळै फबै फूटरो झूॅठ नाॅही
मनांे मेर रो कूट बैकूॅट माॅही।34।

लखीजै असी भाॅति आकास लागो
भवानी खड़ा पाॅण लीधाॅ त्रभागे 
हमेसा रहै सत्रु रो सीस हाथै
मुखै रत्र रो तासळो छत्र माथै। 35।

दिपै आवड़ा आद प्रासाद दूजा 
पुजारा करै नित्य नैमित्य पूजा 
चवे चंडिका चंडिका दीप चासै
पिसै ठीक बाल्हीक श्रीखंड पासै ।36।

सिरी गंग रो नीर सन्नान सारू 
दसत्तूर सिन्दुर कप्पूर दारू
हुवै होम आसावरी धूप हूॅमैं
घणाॅ साॅघणाॅ दीप साॅमीप घॅमैं ।37।

फलाॅ गंज फूलाॅ दळाॅ पुंज फाबै
तयारी रहै सासता दास ताबै 
दहूॅ हाथ जोड्याॅ पढ़ै छंद दोहा 
बढ़ै मैंमदादीक सोरंभ बोहा।38।

श्रलोकाॅ धुणी पाठ दुर्गा सुणावै
गुणी माढ़ रै राग सौभाग गावै
बॅबी वीण सैतार सैनाय बाजै 
त्रमाळा घुरै मेघमाळा तराजै।39।

जुड़ै आय सव्वासण्याॅ रायजादी
दरस्सै कैई सेवकाॅ माय दादी
हमल्लै धनो उन्दरी सेन हंद
मनों मैथली बन्दरी सेन बंद। 40।

हुवै चम्मराॅ झाटका जोति हूबै 
सदा ऊतरै आरती सांझ सूबै 
तके भादवी माह ऊपान्त तित्थी
पड़ै माय रै पाॅय पृत्थीप पृत्थी।41।

पुनै चैत आसोज रा स्वेत पाखाॅ
लुळै मात नूॅ जातरी लोक लाखाॅ 
बदीजै किसॅू कीरती हेक बाकै
थळी री दुती दाखतो सेस थाकै।42।

प्रवाड़ा किसूॅ हेक जीहा पुणीजै
कराॅ जोडियाॅ कोड़ि आदेस कीजै
धजाळी हमै फेर औतार धार्यो
बडो काम श्री जोगमाया विचार्यो।43।

अभै दान जेसाॅण बीकाॅण अप्पै
तिका आज जोधाॅण रै राज तप्पै
आई आवड़ा नाम बिख्यात येळा
बजै इन्द्रबाई जिका येण बेळा।44।

नमो देस मारू धरा कोट नोवाॅ
नमो दं्रग गेढ़ा कलाॅ खुर्द दोवाॅ
प्रणम्मो समों च्यार छै नो पहोमी
नमो मास आसाढ़ री शुक्ल नोमी।45।

नमो सुक्र सन्ध्या घणो श्रेष्ट सम्मो
नखित्राॅ तणों पातिसा स्वाति नम्मो
महालक्षमी मात धापाॅ नमामी 
नमो मात रो तात सामुद्र नामी । 46।

बळे तन्नमो तन्नमो इन्द्रबाई 
तुही सुन्य रै माॅही चैतन्यताई 
महंमाय तूही तुही जोगमाया
प्रकत्ती सकत्ती तुही नाम पाया।47।

तुही रोम में तोम बै्रमंड राखै 
नवै खंड तूही घड़े भाॅगि नाॅखै
रमी तू रहै ब्रह्म रै रोम रोमै 
तरां बिंब छाया रहै ब्रह्म तोमै।48।

प्रथम्मा तुही पब्बई सैल पुत्ती
दुरग्गा तुही ब्रह्म चारण्य दुत्ती
त्रतीया तुही चन्द्र घन्टा तवीजै
चतुर्थी तुही कूसमांडा चवीजै । 49।

मुणीजै तु ही पंचमी स्कंदमाता
खटी मात कात्यायणी तू बिख्याता
रचै सातमो रूप तू काळरात्री
दिगी गोरि तू निध्यमी सिद्धिदात्री।50।

धुराॅ तू सुराॅराय नो नाम धेई 
कहीजै पुनः रावळा रूप कैई 
तुही भीलणीं भैष संभु भुळावै
रजोमूरती लेख तू ही रूळावै।51।

हरीबच्छ श्रीलच्छ तू बीस हत्थी
तुही पन्नगाधीस रै सीस पृृथ्थी
तुही पच्छ तारच्छ मे सीघ्रताई 
रती मूरती में तुही सुन्दराई ।52।
तुही भैष मे सूर मे नूर भासै 
तुही मेह कादम्बणी चत्रमासै
दिपै तू घटा मै छटा द्योतद्वारा
धपै तू जटा मैं तटा गंगधारा। 53।

छती तू सती भूपति दच्छ छोणी
गती मत्त मातंग तू हंस गौणी
तुही चन्द्रमा तुंड चामंुड चंडी
अपर्णा अजा ईस्वरी तू अखंडी। 54।

बिजै तू श्रजै आहवाॅ बाह बीसाॅ
सजै तू हिये हार झूझार सीसाॅ 
तुही हाथ ले शुळ सादूळ हक्कै
त्रणां मात्र तू सुक्र रा छात्र तक्कै। 55।

महैरामणो सुंभ निसुंभ मार्या
बली चंड मुंडादि तुही बिदार्या
दिती पुत्र तू मारियो बाजद्रोही
ललक्कारि डक्कारियो बीजलोही।56।

तुही अज्जया अभ्भया अब्बिळंबा 
तुही साकणी डाकणी बाकसाळी
तुही भूचरी खैचरी भद्रकाळी।57।

तुही जंत्रणी मंत्रणी अंत्रजामा
तुही ध्ंात्रणी तंत्रणी बुद्धिधामा
तुही गिव्वराॅ बिव्वराॅ बीच गाजै
तुही रावळाॅ देवळाॅ मध्य राजै।58।

तुही काळिका ज्वाळिका बज्रकाया 
तुही मंगळा तोतळा जोगमाया
तुही पिंगळा डिंगळा पद्य गद्या
तुही बैदिका लौकिगा छन्द विद्या।59।

तुही भारती भाखणी सर्व भाखा
तुही सर्व दातार मंदार साखा
हमाऊ परां तो कराॅ छाॅह हेको
न को पार ओतार थारा अनेको।60।

तुही सारदा नारदा कासमेरी
तुही काळिका भास मद्रास केरी
कृपाळी तुही किल्लकतै किल्लक्कै
जिलै उत्तराखंड तू ज्वाळा जक्कै । 61।

कुमख्या तुही काॅमरू देस काॅनी 
भळे तत्थ तू मत्थहीणाॅ भवानी
दिसा प्राचि आवाचि तूही उदीची
तुही मात हिंगोळ राजै प्रतीची। 62। 

तुही सिंध आसापुरा रूप तापै
तुही अंबिका मात अैबात आपै
तुही अर्बुदा अद्र आबू अग्राजै
तुही बैचरा संभरा मात बाजै।63।

सिला रूप आमेर तूही सकत्ती 
तुही जीण जम्वाय जोताॅ जकत्ती
तुही जोति ज्वाळामुखी जोबणैरी
बसै तू दिली जोगणी बेख बैरी।64।

तुही कामही नाम देवी कहाॅणी
महंमाय दुगाय तूही मृडाॅणी
तुही चाॅण चामंड चालक्कनेची
तुही राजराजेस्वरी डूंगरेची। 65।

बजै माल्हणाॅ मात तूही बिराई
बळू तू प्रथीराज रै राजबाई
पुनः माय गीगाय तुही पुणीजै
भुजाळी तुही नागणेची भणीजै।66।

सिंघाळी तुही सीमिका होल सैणी
ब्रदाळी तुही गूंगिका नागबैणी
खगाळी तुही बिव्वड़ा चख्खड़ाई
मुद्राळी तुही आवड़ा मामड़ाई। 67।

धजाळी तुही कर्नला धाबळॅाणी
बडाळी तनै च्यार बेदाॅ बखाॅणी
किसो ओड़ नौ कोड़ तूही कहाई
बिजाई उमा आज तू इन्द्रबाई।68।


थईजै इसा रूप अन्नेक थारा
सको सारदा कै सकै नाॅही सारा
जपूॅ जीह सोभाग मोभाग जागो
लळै आय श्रीमाय रै पाय लागो।69।
अबै बीनती हेक हिंगोळ वाळी
जिका ध्यान दै काॅन कीजै धजाळी 
लहैरी महैराॅण भूपाळ लच्छो
अखो दूसरो रीझ खीजाळ अच्छो।70।

कलब्रच्छ म्हाराज रा सेवकाॅ को
बण्यों राखिजै बूडसू भूप बाॅको
बळे हूं लुळे रावळा पांव बन्दू 
अड़ी नाव ऊबारबा आव इन्दू ।71।

लंकाळै चढे़ चाल जंघाळ लेलै
हली राजड़ा ज्यों प्रथीराज हेलै
हरी पोकरी रै हुवो जेम व्हीजै
कवी पात री मात ऊबेल कीजै। 72।


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